सोमवार, 11 जुलाई 2022

तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया

 तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया

ज़्म-ए-जानाँ में नशिस्तें नहीं होतीं मख़्सूस जो भी इक बार जहाँ बैठ गया बैठ गया meaning,Tera chup rehna mere zehan lyrics in english,पराई आग पे रोटी
अपना लड़ना भी मोहब्बत है तुम्हें इल्म नहीं चीख़ती तुम रही और मेरा गला बैठ गया
की हम जिसे पास बिठाले वो भीछड़ जाता है, तुम जिसे हाथ लगा दो वो तुम्हारा हो जाए,बज़्म-ए-जानाँ meaning in hindi,Tera chup rehna Poetry


तेरा चुप रहना मेरे जेहन में क्या बैठ गया पराई आग पे रोटी बज़्म-ए-जानाँ में नशिस्तें नहीं होतीं मख़्सूस meaning तेरा चुप रहना शायरी तहज़ीब हाफ़ी की शायरी मैं मुश्किल में तुम्हारे काम बज़्म-ए-जानाँ meaning ये मैंने कब कहा की मेरे हक़ में फैसला करें

तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया
इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया
यूँ नहीं है कि फ़क़त मैं ही उसे चाहता हूँ
जो भी उस पेड़ की छाँव में गया बैठ गया
इतना मीठा था वो ग़ुस्से भरा लहजा मत पूछ
उस ने जिस को भी जाने का कहा बैठ गया
उस की मर्ज़ी वो जिसे पास बिठा ले अपने
इस पे क्या लड़ना फ़लाँ मेरी जगह बैठ गया
अपना लड़ना भी मोहब्बत है तुम्हें इल्म नहीं
चीख़ती तुम रही और मेरा गला बैठ गया
बात दरियाओं की सूरज की तेरी है यहाँ
दो क़दम जो भी मिरे साथ चला बैठ गया
बज़्म--जानाँ में नशिस्तें नहीं होतीं मख़्सूस
जो भी इक बार जहाँ बैठ गया बैठ गया



बज़्म-ए-जानाँ में नशिस्तें नहीं होतीं मख़्सूस जो भी इक बार जहाँ बैठ गया बैठ गया meaning,Tera chup rehna mere zehan lyrics in english,पराई आग पे रोटी

अपना लड़ना भी मोहब्बत है तुम्हें इल्म नहीं चीख़ती तुम रही और मेरा गला बैठ गया

की हम जिसे पास बिठाले वो भीछड़ जाता है, तुम जिसे हाथ लगा दो वो तुम्हारा हो जाए,बज़्म-ए-जानाँ meaning in hindi,Tera chup rehna Poetry